राममंदिर के भूमि पूजन को आएगी सप्तपुरियों और चारों धाम की मिट्टी, नई अयोध्या में मिलेगी त्रेता युग की झलक

तेजस्वी न्यूज़ चैनल उत्तर प्रदेश

संवाददाता लक्ष्मीराघव वाल्मीकि



राम जन्मभूमि ट्रस्ट को मिली चांदी की शिलाएं

33 किलो 644 ग्राम चांदी की शिलाएं

मन्दिर निर्माण के सहयोग के लिये मिली शिलाए



राममंदिर के भूमिपूजन की तारीख तय होते ही अयोध्या में तैयारियां भी जोर शोर से शुरू हो गई हैं। पांच अगस्त को होने वाले भूमिपूजन के अनुष्ठान में अयोध्या सहित मथुरा, काशी, कांची, उज्जैन, हरिद्वार, द्वारिका जैसे सप्तपुरियों और चारों धाम की मिट्टी के साथ सरयू सहित गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम और नर्मदा आदि देश की पवित्र नदियों का जल लाया जायेगा। हालांकि रामलला के दरबार में अनुष्ठान कराने वाले आचार्य इंद्रदेव का मानना है कि अलग-अलग धामों और तीर्थों में न जाकर केवल नेपाल के प्रख्यात तीर्थ क्षेत्र स्वर्गद्वार की मिट्टी अनुष्ठान के लिए लायी जाय। क्योंकि मान्यता है कि वहां की मिट्टी में सभी धामों और तीर्थों की मिट्टियों का समावेश है। इसलिए अगर केवल वहां कि मिट्टी को भूमिपूजन के अनुष्ठान के लिए लाया जाएगा तो वह भी बराबर ही फलकारी होगी।

 इसके अलावा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन का विधान तीन चरणों में पूरा किया जाना है। पहले चरण में सूर्यादि नवग्रह का आह्वान होगा। दूसरे चरण में इंद्रादि प्रधान देवताओं और गंधर्वों का आह्वान होगा। जबकि तीसरे चरण में महागणपति पूजन के साथ भूमिपूजन किया जाएगा। इन तीनों चरणों के दौरान वैदिक ब्राह्मणों द्वारा चतुर्वेद पारायण बराबर होता रहेगा। भूमिपूजन के कर्मकांड के साक्षी काशी के तीन विद्वान बनेंगे। देश के अलग-अलग हिस्सों से 11 वैदिक ब्राह्मणों को भी अयोध्या बुलाया गया है। वहीं इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन को लेकर भी रामनगरी में सरगर्मी शबाब पर है। एक तरफ श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, तो वहीं दूसरी तरफ सोमवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने भी रामनगरी पहुंचकर सारी तैयारियों का जायजा लिया।


नव्य अयोध्या में मिलेगी त्रेता युग की झलक


वहीं भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ ही अयोध्या और भी ज्यादा विकसित करने की योजना है। यह नगर 400 हेक्टेयर भूभाग पर विस्तार लेगा। नई अयोध्या एक ओर जहां आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी, वहीं यहां त्रेतायुगीन झलक भी दिखेगी। नई अयोध्या में राम मंदिर के साथ साधु-संतों के आश्रम होंगे, तो आधुनिक गुरुकुल भी दिखेंगे। इस दिशा में भी सरकार काम कर रही है। बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र से उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद और जिले के अधिकारियों ने इसका पूरा एक्शन प्लान साझा किया है।

 रामनगरी को उत्तर पूर्व कोने में विकसित करने की योजना है, जो सरयू के कछार से जुड़ा भूभाग है। यहां बसे शाहनेवाजपुर और तिहुरा माझा ग्राम सभा की जमीन पर योजना आकार लेगी। इसमें खूबसूरत आर्किटेक्चर के साथ ही यहां की सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलेगी। जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद, अयोध्या विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और पर्यटन विभाग मिलकर राम नगरी को नया रूप देंगे। योजना से जुड़े एक बड़े अधिकारी ने बताया कि नई अयोध्या में मार्ग से लेकर चौराहे और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर रामायण के प्रतीक चिह्न विद्यमान होंगे, जो इसकी धार्मिक छवि को विस्तार देंगे।

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