गुग्हा म्हाडी सुधार सभा के हाथ से जाने पर बोखलाया लाखों का गबन धारक
सहारनपुर- कहावत हे कि,जब घर पडे-पड़े हाथ मे आई सल्तनत ही छिन जाये तो इन्सान पागल हो ही जाता है।ओर यह कहावत आज सत्य साबित होती नजर आ रही है,यही नही देखने को भी मिल रहा है।जी हां हम बात कर रहे हे,श्री गुग्हा म्हाडी सुधार सभा के चुनाव एवम नई कार्यकारिणी के गठन की।सभा के चुनाव के बाद नई कार्यकारिणी के गठन के बाद,सञह सालो से लाखों डकारने वाला सुधार सभा का पूर्व मसीहा आज भी खुद को सभा का मसीहा बताकर लोगों को बरगलाने मे लगा हे।कहते हे जब जनता एक हो जाये,सल्तनत का तख्ता पलटने मे देर नही लगती,ओर यहां हुआ भी ऐसा ही,छडी के लगभग सभी भगतो ने,एकमत होकर श्री गुग्हा म्हाडी सुधार सभा का चुनाव कराकर पुरानी सल्तनत को ही जमीदोज कर दिया,लेकिन आज भी यह सुधार सभा का पूर्व मसीहा स्वम गुग्हा म्हाडी सुधार को हथियाने के चक्कर मे कई तरह के हथकण्डे अपनाने मे लगा है,जो भगतो की एकता के आगे फेल होता ही नजर आ रहा है। कहते हे,कि खाली दिमाग शैतान का,बिना काम के ही यह पूर्व मसीहा आज भी सभा का नाम लेकर लोगों को बरगलाने मे किसी भी प्रकार की कोई कसर बाकी नही छोड़ रहा है।हम आपको यह भी बता दे,कि यदी इस पूर्व मसीहा के काले कारनामो की बारिकी से जांच की जाये,तो इसके काले कारनामो की फाइल मे बहुत कुछ मिल सकता है।इधर श्री गुग्हा म्हाडी सुधार सभा के,चौधरी अनिल सैनी ने,बताया,कि वह अब गुग्हा म्हाडी सुधार सभा मे कोई घोटाला नही होने देंगे,ओर जिन लोगो ने गुग्हा म्हाडी सुधार सभा के नाम से रशीदे काटकर एवम सुधार सभा के नाम पर चंदा एकञित कर लाखों डकारे हे,उसकी निष्पक्ष जांच कराकर उसे जेल की हवा खिलायेंगे,साथ ही उन्होंने यह भी कहा,कि वह बहुत ही जल्द श्री गुग्हा महाडी सुधार से बाहरी लोगों को जोड़ने का काम भी करेंगे।उन्होंने कहा,कि वह जल्द ही श्री गुग्हा म्हाडी सुधार को उस मुकाम पर लेकर जायेंगे जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी नही कि।इधर सुधार के अध्यक्ष गुलशन सागर उर्फ गंगा का भी कहना,कि वह सुधार सभा के माध्यम से एवम प्रशासन के सहयोग से म्हाडी स्थल पर कई तरह के विकास कार्यों को भी बढ़ावा देंगे।
हम आपको बता देते,कि पूर्व मे एक पूर्व पदाधिकारी ने गुग्हा म्हाडी सुधार सभा के नाम का सहारा लेकर सुधार सभा को ही लाखों की चपत लगा डाली,यही कारण रहा,चुनाव के बाद नई कार्यकारिणी के गठन का।
*रिपोर्ट-कमल कश्यप/मनोज धीमान/सन्नी मेहरोल*